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शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

गीत - याद फिर तुम बहुत आए ।

याद फिर तुम बहुत आए ।
उषा पट पर जब सुनहरी, किरण ने सपने दिखाये ।
याद फिर तुम बहुत आए ॥

जब पड़ीं पावस फुहारें
मीत की मनहर गुहारें
सजल तन को तापती
विजन की ठंढी पुकारें
उस घड़ी में सजन तुम बिन, आस भी कैसे लगाए ।
याद फिर तुम बहुत आए ॥

पवन सायं, नील अंबर
चले सब उपवन डगर पर 
फूल पत्ते भ्रमर तितली
थके हारे गुनगुना कर
पर अपरिमित चाह मेरी, मिलन की अग्नि जलाए ।
याद फिर तुम बहुत आए ॥

रात शीतल चाँदनी की
गीत की भी रागिनी की
चाँद तारे मिल-मिला कर
अग्नि जलवाते विरह की
जब अलगनी में कोई तारा, भोर का घूँघट उठाए ।
याद फिर तुम बहुत आए ॥

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