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शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

गीत - कहूँ दिल की बात किस कर !

कहूँ दिल की बात किस कर !

मैं रहूँ चुप सिवा उसके हर किसी से
मौन रह कर भी करूँ विनती उसी से
विवश असमंजस रहूँ जब भी अकेला
प्राण उसके बसे उर, मैं हूँ उसी से ।

पर अलग कैसे रहूँ, उससे बिछड़ कर,
कहूँ दिल की बात किस कर !

जानने से पूर्व मुझको चाहती थी
गंध मिस्री सांस मेरी जानती थी
फिजाँ मेरी इत्र से उसके महकती
मुझे मुझसे खूब वो पहचानती थी

साथ जन्मों जन्म का, फिर क्या स्वयंवर,
कहूँ दिल की बात किस कर !

नयन मेरे आसना में हैं उसी के
हृदय के आवेग में झरने उसी के
मरुस्थल सा हींन था सूखा सरोवर 
आज उत्पल खिले तो सपने उसी के

चाह और अनुरक्ति में, उसकी जाऊंगा संवर,
कहूँ दिल की बात किस कर !

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