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बुधवार, 18 सितंबर 2013

मुक्तक - वो लोग थे किस्मत वाले

वो लोग थे किस्मत वाले जो आँचल की छांव छांव चले
यूं समझौते हर मोड़ किए, पर साथ में ले कर गाँव चले
पकड़ा हमने भी दामन पर कुछ अकड़ रही मशरूफ़ रहे
गुज़री इनके-उनके दरम्याँ, कोई ठौर मिले न ठाँव मिले।

~ अशोक सिंह
   न्यू यॉर्क, सितंबर 14, 2013

मुक्तक - बिछड़े जो मिल कर तुझसे

बिछड़े जो मिल कर तुझसे, 'मुकद्दर' की बात थी
फिर दर्द-ए-दिल का सिलसिला, तेरी-ही सौगात थी
अब दर्द, शिकवे इंतज़ार का जिक्र भी क्यूँ-कर करें,
जब शुरू तुझसे खत्म तुझसे तुझसे ही सब बात थी

~ अशोक सिंह
   न्यू यॉर्क, सितंबर 14, 2013

रविवार, 8 सितंबर 2013

मुक्तक - तेरे काँपते हँसीं होंठ..

तेरे काँपते हँसीं होंठ मेरा नाम न कह दें
मद-होश निगाहें, मेरा पैगाम न कह दें,
तू आ, मेरे महफूज आगोश ‌में छुप जा
ये हाले-तबाह मेरे, सरे आम न कह दें

~ अशोक सिंह
न्यू यॉर्क, सितंबर 8, 2013

मुक्तक - इससे पहले, तेरी आंखों में

इससे पहले, तेरी आंखों में मेरी पलके झपकें
एक फूल तेरे रेशमी बालों मे ला के टाँक न दूँ
लम्हा लम्हा तेरा हुस्न पिघलता मेरी रग-रग में
दिल के मचले हुये शोलों को ज़रा ढाँक न दूँ । 
~ अशोक सिंह
  न्यू यॉर्क, सितंबर 8, 2013