Ashok's Hindi Kavita Blog
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रविवार, 8 सितंबर 2013
मुक्तक - इससे पहले, तेरी आंखों में
इससे पहले, तेरी आंखों में मेरी पलके झपकें
एक फूल तेरे रेशमी बालों मे ला के टाँक न दूँ
लम्हा लम्हा तेरा हुस्न पिघलता मेरी रग-रग में
दिल के मचले हुये शोलों को ज़रा ढाँक न दूँ ।
~ अशोक सिंह
न्यू यॉर्क, सितंबर 8, 2013
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