७० वीं वर्षगांठ के अवसर पर...,
सत्तर बरस, अनगिनत घडिया |
सुन्दर सजी सहस्त्रो लडिया ||
कर्मठता की डगर छोड़ अब |
जोड़ी प्रेम मयी सब कडिया ||
प्रेम प्रगाढ़ भरे बंधन है |
फूले-फले है यही कामना ||
आनंद मय ये प्रहर सुनहरा |
शाश्वत रहे, है यही प्रार्थना ||
छोटी सी पर सकल ये दुनिया|
सुन्दर सजी सहस्त्रो लडिया ||
~ अशोक सिंह
न्यू यॉर्क, 12/23/11
सत्तर बरस, अनगिनत घडिया |
सुन्दर सजी सहस्त्रो लडिया ||
कर्मठता की डगर छोड़ अब |
जोड़ी प्रेम मयी सब कडिया ||
प्रेम प्रगाढ़ भरे बंधन है |
फूले-फले है यही कामना ||
आनंद मय ये प्रहर सुनहरा |
शाश्वत रहे, है यही प्रार्थना ||
छोटी सी पर सकल ये दुनिया|
सुन्दर सजी सहस्त्रो लडिया ||
~ अशोक सिंह
न्यू यॉर्क, 12/23/11
2 टिप्पणियां:
Are you already 70? I did not know. 'hope you live for another 70 years!
अमां, कोई अपनी वर्षगांठ पर कविता लिखता है क्या? यह कविता हमारे मित्र के पिता-श्री पर लिखी गई थी :)
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