हर दिल से मोहब्बत का जज़्बा है, तो हूँ
शायर हूँ, किसी एक की जागीर नहीं हूँ,
आईने में नहीं मुझको ज़ुल्फों में लगाओ,
हूँ प्रेम का गुलाब, कोई
तस्वीर नहीं हूँ
तकिये में गिरे आंसुओं से मेरा क्या सबब
पल भर का हंसीं ख्वाब हूँ, कोई
पीर नहीं हूँ
जो वक़्त से न ढल सके, वो
इश्क़ की तहरीर
सदियों की घिसी पिटी कोई लकीर नहीं हूँ
मिल जाये एक बार तो नेमत है ख़ुदा की
हूँ इश्क़, लगे जो दिल पे कोई तीर नहीं हूँ
~ अशोक सिंह,
न्यू यॉर्क
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