Disable Copy Content

रविवार, 11 नवंबर 2012

दीप घर घर में जले हों



दीप  घर घर में जले हों
पुष्प हर मन में खिले हों
इस अमावस रात के जैसी न दूजी बात हो ।
दीपावली सी रात हो ।
दीपावली सी रात हो ।

मन में संशय न रचे हों
मैलरंजिश  न बचे हों
दीप लड़ियों से सुसज्जित दीप्ति जैसे प्रात हो ।
दीपावली सी रात हो ।
दीपावली सी रात हो ।

-        -  अशोक सिंह, न्यू यॉर्क
      11-10-12


कोई टिप्पणी नहीं: