दीप घर घर
में जले हों
पुष्प हर
मन में खिले हों
इस अमावस
रात के जैसी न दूजी बात हो ।
दीपावली
सी रात हो ।
दीपावली
सी रात हो ।
मन में
संशय न रचे हों
मैल,
रंजिश न बचे हों
दीप लड़ियों से सुसज्जित दीप्ति जैसे प्रात हो ।
दीपावली
सी रात हो ।
दीपावली
सी रात हो ।
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अशोक सिंह, न्यू यॉर्क
11-10-12
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