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रविवार, 11 नवंबर 2012

गर वो तुम से रूठ जाएँ



गर वो कहें कि तुमसे रूठ जाएँगे
सोच लो किस तरह मनाओगे

ये नातवानी उन्ही की चाहत से 
तुम भला किस तरह छुपाओगे ।

शिनासाई ये फकत चार दिन की
उम्र भर कैसे  इसे निभाओगे ।

हसरतों के फूलों से बहले खूब
खारे-आरज़ू से कैसे निभाओगे

आज जलवा-गर अंजुमन में बैठे हैं
कल की महफिल कहाँ सजाओगे ।

वस्ल की रात की बात करते हो
अंजामे-इश्क़ को कैसे निभाओगे 

नातवानी - दुर्बलता, शिनासाई - पहचान 

~ अशोक सिंह, न्यू यॉर्क 
  11-10-12

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