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रविवार, 11 नवंबर 2012

प्रभु तुम पथ हो या मंजिल हो?



प्रभु तुम पथ हो या मंजिल हो?

यदि तुम पथ तो हम सब राही
'चरै-वयति' की नियति के वाही
चलना होगा हम सबको ही, काया जर्जर हो, निर्मल हो!
प्रभु तुम पथ हो या मंजिल हो?

यदि तुम पथ तो हम सब जोगी
जबरन साधक, मूक वियोगी
हिमगिरि शीत विषम सरणी चल, काया मनु ही गलती हो !
प्रभु तुम पथ हो या मंजिल हो?

यदि तुम पथ तो ऐसा कर दो
मानस जीवन को ये वर दो
तुमसे जो पथ, बन वो पत्थर तुम में ही हम मूलक हो ।
प्रभु तुम पथ हो या मंजिल हो?

यदि मंजिल, तो मत भटकाओ
चक्रव्यूह में मत अटकाओ
जीवन माया गुत्थी सुलझे, तुम में शाश्वत शामिल हो !
प्रभु तुम पथ हो या मंजिल हो?

तुम मंजिल तो, कभी पिता बन
राह दिखाओ, निर्गुन या गुन
गुरु की भांति कभी तो उंगली पकड़ो, जीवन सार्थक हो !
प्रभु तुम पथ हो या मंजिल हो?

तुम मंजिल तो मंजिल पथ बन
निहित करो, दो व्यापक दर्शन
मंजिल में पथ, पथ में मंजिल, अहम ब्रह्म मे शामिल हो !
प्रभु तुम पथ हो या मंजिल हो?

-          अशोक सिंह, न्यू यॉर्क
11-10-12

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