मैने बस इतना ही बोला, अतिसुंदर सच में नारि हो तुम,
कवि कल्पना फ़िसल जाये, वो सृष्टि का श्रंगार हो तुम ।
छवि उत्तम है, तन मोहक है, मन भी कुछ सुंदर यदि होता,
ऐसा क्या कह डाला मैने, इसमे भी कोई है रोता ???
~ अशोक सिंह
न्यू यॉर्क
~ अशोक सिंह
न्यू यॉर्क
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