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रविवार, 20 नवंबर 2011

मुक्तक - ७/१३/११ मुम्बई बम ब्लास्ट

जो घायल हुये हादसे में इक आस ढूँढने निकले थे
रोज़ी रोटी की चिंता में, मम्मी और पापा निकले थे
सपने कल के ले आँखों मे थे हिन्दू मुस्लिम ईसाई
क्या पता उन्हें, खूंखार दरिंदे मौत बांटने निकले थे ।

~ अशोक सिंह
  न्यू यॉर्क, 2013

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